Sabse Purana Shilalekh: Yeshu Ko Ishwar Ghoshit Karta Hai

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ईसाई धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण खोज सामने आई है, जिसे Sabse Purana Shilalekh माना जा रहा है। यह सबसे पुराना शिलालेख 1,800 साल पुराना है और इसे इज़राइल के मेगिडो जेल में पाया गया था। इस शिलालेख में यीशु को ईश्वर घोषित किया गया है, जो इसे ईसाई धर्म की सबसे पुरानी लिखित अभिव्यक्ति बनाता है।

सबसे पुराना शिलालेख कैसे मिला?

यह Sabse Purana Shilalekh एक कैदी द्वारा खोजा गया, जब वह अपने सेल के फर्श के नीचे खुदाई कर रहा था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वह भागने का प्रयास कर रहा था या नहीं। खुदाई के दौरान, उसे प्राचीन ग्रीक भाषा में लिखा हुआ एक मोज़ेक मिला। इस सबसे पुराने शिलालेख में लिखा गया है:

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“ईश्वर-प्रेमी अकेप्टस ने एक स्मारक के रूप में ईश्वर यीशु मसीह को तालिका की पेशकश की है।”

सबसे पुराना शिलालेख और ईसाई धर्म

यह Sabse Purana Shilalekh ईसाई धर्म की प्रारंभिक मान्यताओं को दर्शाता है। यह न केवल यीशु को ईश्वर घोषित करता है, बल्कि उस काल में ईसाई समुदाय की भक्ति और धार्मिक परंपराओं को भी उजागर करता है।

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इस सबसे पुराने शिलालेख में “अकेप्टस” नामक एक महिला का उल्लेख है, जो संभवतः एक प्रभावशाली महिला थी। उसने चर्च में योगदान देने के लिए एक टेबल दान की थी, जो ईसाई पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।

महिलाओं की भूमिका और सबसे पुराना शिलालेख

इस Sabse Purana Shilalekh से यह भी स्पष्ट होता है कि महिलाओं ने ईसाई धर्म के प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाई थी। अकेप्टस के अलावा, इस शिलालेख में अन्य महिलाओं जैसे प्राइमिला, साइरियाका और डोरोथिया का भी उल्लेख किया गया है। इससे पता चलता है कि प्राचीन ईसाई समुदायों में महिलाओं का योगदान कितना महत्वपूर्ण था।

Sabse Purana Shilalekh: धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

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यह सबसे पुराना शिलालेख मृत सागर स्क्रॉल के बाद ईसाई धर्म से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण खोज मानी जा रही है। धार्मिक विद्वानों का मानना है कि यह खोज ईसाई धर्म के प्रारंभिक इतिहास को समझने में मदद करेगी।

इतिहासकारों का मानना है कि यह Sabse Purana Shilalekh यह साबित करता है कि यीशु को ईश्वर के रूप में मान्यता प्राचीन ईसाई समुदायों में पहले से ही थी।

सबसे पुराना शिलालेख और मेगिडो का ऐतिहासिक महत्व

इस सबसे पुराने शिलालेख की खोज मेगिडो जेल में हुई, जो एक ऐतिहासिक स्थल भी है। मेगिडो को “आर्मगेडन” के रूप में भी जाना जाता है, जहां ऐतिहासिक युद्ध हुए थे।

यह सबसे पुराना शिलालेख हमें यह भी बताता है कि मेगिडो उस समय ईसाई धर्म के प्रसार का एक प्रमुख केंद्र था।

निष्कर्ष

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ईसाई धर्म से जुड़े इस Sabse Purana Shilalekh की खोज ने इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के बीच हलचल मचा दी है। यह न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

यह Sabse Purana Shilalekh हमें यह दिखाता है कि प्राचीन ईसाई समुदायों में यीशु को ईश्वर के रूप में स्वीकार किया जाता था। इसके अलावा, इस शिलालेख से यह भी पता चलता है कि उस समय महिलाओं ने भी ईसाई धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

यह सबसे पुराना शिलालेख ईसाई धर्म के इतिहास में एक नई रोशनी डालता है और इसे एक अभूतपूर्व खोज के रूप में देखा जा रहा है।

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