Mewat Me Best Jagah Kaun Sa Hai 5 Important अच्छी जगह

mewat me best jagah kaun sa hai

आज की लिखने शुरुआत करते हैं mewat me best jagah kaun sa hai से मेवात एक अद्भुत और प्राचीनतम क्षेत्र है इसका इतिहास और भी गहरा और दिलचस्प है लेकिन आज हम जानेंगे मेवात की बेस्ट जगह के बारे में।

mewat me best jagah kaun sa hai यह सवाल तो मुझे भी काफी कन्फ्यूज कर रहा है क्योंकि मेघवत में कई ऐसी जगह है जिनमें से यह पता लगाना बहुत मुश्किल है कि mewat me best jagah kaun sa hai फिर भी वर्ल्डवाइड हिस्ट्री आपके इस कंफ्यूजन को दूर करने का काम जरूर करेगी।

मेवात एक प्राचीन क्षेत्र है और ऐतिहासिक स्थल इस क्षेत्र में बहुत सारे हैं चाहे आदिकाल, हो या फिर महाभारत कल, या फिर तुर्कों के भारत आने के बाद का कल। mewat me best jagah kaun sa hai इसका पता mewat history अब मेवात के नूंह जिला शहर से अपनी यात्रा सूरू करते हैं। मेवात में कई ऐतिहासिक स्थल है जिनमें मूसा महल नूह जिला, चुईमल तालाब नूह शहर, कोटला किला,  चोखा की दरगाह , शाद की बैठक, जैन मंदिर या राजा भंवर सिंह का महल, पांडव कालीन शिव मंदिर, फिरोजपुर झिरका श्रृंगार मंदिर, श्रृंगार गांव में  84 अद्भुत खंबे कामां, कुतुब मस्जिद पहाड़ी, यह सारे ही अद्भुत और ऐतिहासिक स्थल है और घूमने के लिए भी बहुत ही बढ़िया और शानदार हैं।  इनके बारे में हम डिटेल से बताने की कोशिश करते हैं।

Sheikh Musa' Nuh

Sheikh Musa’ Nuh: एक आध्यात्मिक गुरु और समाज सेवक परिचय

शेख मूसा नूह का नाम आध्यात्मिकता और मानवता के दरवाज़े खोलने वाले एक नामी और प्रेरणादायक व्यक्तित्व से जुड़ा है। उनके जीवन और उनके संदेशों का एक गहरा प्रभाव है, जो आज भी हमें प्रेरित करते हैं।
शेख मूसा नूह एक ऐसा आध्यात्मिक गुरु और समाज सेवक थे जिनका योगदान हमें आध्यात्मिक और मानवीय मामलों में समझौता करने की दिशा में प्रेरित करता है। उनके संदेश और उनकी आदर्शों का अद्वितीय महत्व है जो आज भी हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।

Sekh Musa Dargah Nuh

अपनी अद्भुत मीनारों और राजपूत और मुस्लिम वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध शेख मूसा के मकबरे को देखने के लिए जरूर जाएँ। शेख मूसा का मकबरा नूंह क्षेत्र में एक और शानदार आकर्षण है । शेख मूसा दरगाह नुहू शहर से दो से ढाई किलोमीटर दूर अरावली के पहाड़ में मौजूद है इसी वजह से यह सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अगर आप इंडिया आ रहे हैं या फिर इंडिया के ही रहने वाले हैं और आप घूमने का मन बना रहे हैं तो एक बार आप शेख मूसा की दरगाह पर जरूर जाएं।

mewat me best jagah kaun sa hai इनमें से एक है शेख मूसा की दरगाह अगर आप यहां घूमने आएंगे तो आपके दो काम हो जाएंगे एक तो आपको बेस्ट जगह के दर्शन हो जाएंगे ऊपर से यह यहां कहावत है इस जगह जो भी आप मांगेंगे आपकी मनोकामना पूरी जरूर होती है हो सकता है आपकी कोई इच्छा भी पूरी हो जाए यह mewat history का एक अद्भुत कारनामा है।

Chuimal Taalab Nuh

Next: Mewat me best jagah kaun sa hai  चूयमल तालाब Chuimal Taalab Nuh

World Wide History नूंह की हमारी यात्रा का अगला पड़ाव चुइमल तालाब (Chuimal Taalab)  था (जिसे चुय मल सेनोटाफ या चूईमल तालाब के नाम से भी जाना जाता है)। चुई मल तालाब वास्तव में बहुत सुंदर है और यदि आप नुह क्षेत्र में हों तो यह देखने लायक है। चुय मल का तालाब हरियाणा के मेवात जिले के नुखा में स्थित कब्रों वाला एक पत्थर का तालाब है। इसका इतिहास सेठ चूयमल ने लोगों की प्यास बुझाने के लिए बनाया था। ईस तलाब को आज 500 साल के आसपास हो चुके हैं। ईसमें Shiv Temple, Hanuman Mandir, भी मोजूद है। इस तालाब के पास ही एक भव्य छतरी बनी हुई है, जिसे सेठ चूहीमल के देहांत के बाद उसके पुत्र स्वर्गीय सेठ हुकम चंद ने उनकी याद में बनवाया इस छतरी पर दुर्लभ मीनाकारी चित्रित की गई है। इसके अतिरिक्त इस तालाब के साथ मंदिर का निर्माण कराया गया था जिसमें शिव, हनुमान और दुर्गामां की मूर्तियां स्थापित हैं। इस तालाब के मालिक और सरकार की उपेक्षा के चलते यह ऐतिहासिक  तालाब अब खण्डहर हो रहा है। कस्बे के लोग इसमें कपड़े धोते हैं। अब यह तालाब बदहाल हो चुका है।

mewat me best jagah kaun sa hai की जानकारी इकट्ठी करते हुए वर्ल्ड वाइड मेवात को नूंह के नन्हे, अक्षय कुमार, साकिर आदि लोगों का कहना है कि अगर सरकार इस तालाब को अपने कब्जे में लेकर इसको विकसित करे तो यह खूबसूरत पर्यटन स्थल बन सकता है। ग्रामीणों ने बताया कि सेठ चूहीमल की हवेली से एक सुरंग सीधी तालाब तक आती है। बताया जाता है कि उस दौरान सेठानी इस सुरंग के जरिये स्नान करने आती थी। इस बात की तसदीक सेठ चूड़ीमल की सातवीं पीढ़ी के वंशज वेद प्रकाश करते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह छोटे थे, उस समय उनके पिता ने यह सुरंग का दरवाजा बंद करा दिया था। उनका कहना है कि इस सुरंग में पानी भरा रहता था और सांप व अन्य जानवरों के घर में घुसने का खतरा बना रहता था।

नूंह हरियाणा के मेवात जिले में स्थित है, जो कई स्मारकों और स्थलों वाला एक शहर है, जो इसे एक दिलचस्प और शहर mewat me best jagah kaun sa hai भी बनाता है। चुईमल तालाब नुहू शहर के बीचो-बीच में स्थित है इस पर जाने के लिए आपको किसी ऑटो रिक्शा वाले से अगर गाड़ी से जा रहे हैं तो आप किसी से भी पूछ सकते हैं इसके बारे में हर कोई जानता है। बरसात के मौसम में चूहेमल तालाब के पास आपको नहीं जाना चाहिए । बरसात के मौसम में चूहेमल तालाब में और छतरी के आजू-बाजू में 200 मीटर तक पानी भरा रहता है जिससे आप इसको अच्छी तरीके से देखा नहीं पाएंगे सिर्फ और सिर्फ मंदिर जा सकते हैं जिसमें आप पूजा पाठ कर सकते हैं।

Mewat me Best jagah kaun sa hai best place firojpur jhirka

mewat me best jagah kaun sa hai की यात्रा का अगला पड़ाव है फिरोजपुर झिरका । फिरोजपुर झिरका शहर को बसाने का श्रेय कहां ज्यादा शासन फिरोज खान को जाता है जिन्होंने अपने नाम पर ही इस शहर को बसाया था। फिरोजपुर झिरका का इतिहास इससे कहीं अधिक पुराना है यहां पर एक शिव मंदिर है जो पांडव कालीन बताया जाता है। कहां जाता है जब पांडव अज्ञातवास में थे तो उसे दौरान वह अरावली के इस पहाड़ यानी फिरोजपुर झिरका में आकर कई महीनो तक रहे थे यहां पर उन्होंने एक कुआं भी खुदा और एक शिव मंदिर का निर्माण भी किया। फिरोजपुर झिरका में शिव मंदिर ही एकमात्र बेस्ट जगह नहीं है इसके अलावा राजा भंवर सिंह का महल जिनको आज जैन मंदिर का नाम से भी जाना जाता है इसके अलावा कुतुब शाही मस्जिद और एक मस्जिद भी मौजूद है।

पांडव कालीन Shiv Temple

पांडव कालीन शिव मंदिर

पांडव कालीन शिव मंदिर फिरोजपुर झिरका और मेवात का प्राचीनतम इतिहास है। यह 5000 इस पर्व का माना जाता है। इसके बारे में इतिहासकार कहते हैं कि इसको पांडवों के द्वारा निर्माण किया गया था हालांकि बाद में इसके इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलकर एक भव्य मंदिर के रूप में डिजाइन किया गया था। यह मंदिर अपनी डिजाइन और आधुनिक मनरो के लिए जाना जाता है। शिव मंदिर का इतिहास में इतिहासकारों के कैम थे कोई इसके बाद के इंफ्रास्ट्रक्चर को गुप्त काल साम्राज्य का कोई नौकरी वंश का और कोई राजपूत युग के द्वारा बनाया गया बताता है।


इसको बनाया चाहे किसी ने भी हो लेकिन इसकी डिजाइन एक भव्य रूप से की गई है जो देखने में बेहद खूबसूरत और सुंदर लगती है अगर आप मेवात घूमने के लिए आ रहे हैं, और तलाश रहे हैं, mewat me best jagah kaun sa hai तो आपको फिरोजपुर झिरका का यह प्राचीन शिव मंदिर को एक बार जरूर घूमना चाहिए। एक बात में और बता दूं इस मंदिर पर घूमने के लिए किसी भी तरीके का प्रबंध नहीं है किसी भी जाति या धर्म के लोग यहां आ सकते हैं। सावन के महीने में यहां 18 दिन तक लगातार मेला लगता है उसे दौरान यहां पर आदर धर्म के लिए प्रवेश निलंबित होता है इसलिए आप इस बात का भी जरूर ध्यान रखें।

राजा भंवर सिंह का महल या जैन मंदिर

राजा भंवर सिंह का महल या फिर इसको आप जैन मंदिर भी कह सकते हैं यह शिव मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर भोंड गांव में है। इस महल का इतिहास फिरोजपुर शहर के संस्थापक फिरोज खान से भी पुराना है इस महल को राजा भंवर सिंह ने बनवाया था जिनका शासन भंड गांव से चलाता था था, बाद में इस शासन को फिरोज खान ने अपने अधीन कर लिया और इसे थोड़ी ही दूरी पर फिरोज खान ने फिरोजपुर शहर बसाया ’किला बनाकर’ वहीं से शासन करने लगा।

अब पिछले 8-10 सालों से इस जगह को जैन मंदिर ट्रस्ट के लिए दे दिया गया है अब यहां जैन मंदिर बन गया है इस महल में घूमने के लिए आपको कई जगह है दो से तीन गहरी सुरंग है जिनका आज तक कोई पता लग नहीं पाया कि यह कहां तक जाती हैं और इस महल की खूबसूरती इतनी खूबसूरत है कि आप इसको निहारत ही रहेंगे। दूसरी बात यह है कि यह किला तीन साइड से पहाड़ों से घिरा हुआ है इसका एक ही हिस्सा खुला है जिससे आने-जाने का रास्ता है। यह भी mewat me best jagah kaun sa hai का ऐक हिस्सा है।

Shah Chokha Ki Dargah शाह चोखा की दरगाह

नूंह

 

 

 

Nuh: जिले के कस्बा पिनगवां से सटे गांव खोरी शाह चोखा के पहाड़ की चोटी में बनी वर्षों पुरानी दादा चौखा की दरगाह अपने आप में अनूठा mewat history समेटे हुए है. मेवात में ना जाने कितने किस्से हैं इनके जिससे mewat me best jagah kaun sa hai की लिस्ट में शामिल होता है। भारत के इतिहास को और mewat ka itihas मे अहम किरदार अदा किए शाह चोखा की दरगाह ने।  ऐसे ही कुछ किस्सों  और इतिहास को ढूंढते हुए mewat me best jagah kaun sa hai  मैं हम आ गए हैं विभाग के एक छोटे से गांव शाह चोखा में। इस गांव में 900 साल पूरानी दादा चौखा शाह की मजार है। यह मजार इतनी ऐतिहासिक है के यहां बड़े-बड़े लोग दूर-दूर से आते हैं।

इस मजार के बारे में हमने यहां सुना था के बादशाह अकबर भी यहां अक्सर आया जाया करते थे, और यहीं उन्होंने मन्नत मांगी थी अपने बेटे के लिए।
बड़कली-पुन्हाना मार्ग पर बसा शाह चौखा गांव की ये मजार सैकड़ों फीट पहाड़ की ऊंचाई पर बनी है. इलाके में हिन्दू-मुस्लिम के साथ सभी धर्मों के लोग यहां मुराद मांगने और चादर चढ़ाने आते हैं. इस दुर्गम जगह पर बनी शाह चौखा की मजार के पीछे भी एक कहानी है. गांव वाले बताते हैं कि 900 साल पहले जब दादा शाह चौखा इसी जगह पहाड़ पर बैठे थे, तो कुछ लोग उनसे पूछने लगे कि आप कौन हो..? कहां से आये हो..? शाह चौखा ने उनसे बात की तो ग्रामीण उनसे संतुष्ट हुए और गांव में लोगों को बताया कि पहाड़ पर चोखो आदमी है, यानी बढ़िया शख्सियत है। उसी दिन से उनका नाम दादा शाह चौखा पड़ गया।

Shad Ki Bethak साद की बैठक का इतिहास



बात अगर मेवात के इतिहास और mewat me best jagah kaun sa hai की हो और शाद की बैठक के बारे में ना लिखा जाए तो यह तो एक अधूरा इतिहास होगा । Mewat ka itihas और शाद की बैठक के साथ एक गद्दारी भरा इतिहास। दिल्ली से 125 और फिरोजपुर झिरका से 15 किलोमीटर दूर इब्राहिम बास में मौजूद है साद की बैठक खूबसूरती के साथ-साथ एक प्राचीनतम इतिहास को भी अपने अंदर समेटी हुई है। शाद की बैठक के बारे में अगर आप गूगल करके खोजेंगे तो शायद आपको ज्यादा जानकारी ना मिले इसके ऊपर एक दो आर्टिकल हमने ही लिखे हैं। लेकिन  mewat me best jagah kaun sa hai इनमें से एक है शाद की बैठक। यह बैठक भी पहाड़ की चोटी पर बनी हुई है।

जब ग्रामीणों से World Wide History इनके बारे में जानकारी इकट्ठी की, तो उन्होंने बताया के 600 साल पहले यहां 15 छोटे-छोटे कबीले हुआ करते थे । जो आज तो एक बड़े गांव का रूप ले चुके हैं। 15 कबीले के सरदार का नाम था साद लेकिन इन 15 कबीलो मैं सबसे अलग बात यह थी, कि यह अरावली पर्वत की पहाड़ी के 7 कबीले एक् साइड थे तो 8 कबीले दूसरी साइड थे। सरदार शाद को लगान वसूल करने या किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए इधर के कबीलों से उधर के कबीलों को जाने के लिए चार से 6 दिन का रास्ता तय करना पड़ता, क्योंकि सीधा रास्ता कोई नही था। उसके लिए उसको बहुत ही लंबे दूर से घूम कर आना पड़ता था जो सरदार शाद के लिए एक मुश्किल कार्य भी था और सही से वह अपनी सरदारी भी नहीं कर पा रहा था।

सरदार साधने इसी समस्या को दूर करने के लिए पहाड़ के ऊपर अपना घर बना लिया । यह दोनों साइड के कबीले पहाड़ के इस साइड और उसे साइड थे पहाड़ पर घर बनाने से सरदार शाद को फायदा यह हुआ कि यहां से उन्होंने दोनों साइड को अच्छी तरीके से कर कर लिया। सबसे पहले उन्होंने पहाड़ के दोनों साइड ऐसा रास्ता बनाया जिस पर सीडीओ के द्वारा भी चढ़ा जा सकता और बैलगाड़ी ले जाने के लिए भी अलग से उसी के बाजू में रास्ता बना दिया । साथ ही साथ पहाड़ की चोटी के बीचो-बीच में अपना महल बनकर तैयार कर लिया जो बन गई mewat me best jagah kaun sa hai । आप किसी भी जगह या स्टेट से हो या किसी भी देश से हो एक बार आपको mewat ka itihas की यह खूबसूरत जगह जरूर देखनी चाहिए।

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