Mewat Ka Itihas Why is the very important? 1857

mewat ka itihas
mewat ka itihas मेवात एक प्राचीन और महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो भारतीय इतिहास के विविध अध्यायों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसका mewat history अत्यंत रोचक और गहरा है, जिसमें समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत छिपी हुई है।
परिचय
Mewat Ka Itihas उसके प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक कई महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके परिणामों का अध्ययन करता है। यह क्षेत्र आज भी अपनी प्राचीनता, सांस्कृतिक विरासत, और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
भारत का इतिहास कभी भी mewat ka itihas के बिना पूरा नहीं हो सकता ।  मेवात क्षेत्र दिल्ली के दक्षिण में स्थित है और यह दिल्ली के बिल्कुल टच में भी है । मेवात और दिल्ली के बीच में सिर्फ गुड़गांव शहर ही है।

ancient mewat ka itihas

मेवात का इतिहास बहुत प्राचीन (Ancient history of Mewat) है और इसे वेदों के उत्तरकाल से जोड़ा जाता है। वेदों में मेवात के संदर्भ में उल्लेख मिलता है, जो इसके अत्यंत प्राचीन और समृद्ध संस्कृति का प्रमाण है।
महाभारत काल में भी मेवात के बारे में उल्लेख मिलता है जिसमें फिरोजपुर झिरका के शिव मंदिर और उसके बाजू में एक गहरा कुआं है । इसके बारे में कहा जाता है कि यह पांडव पुत्र, यानी उन पांच पांडवों ने इसमें से पानी पिया था और यहां उन्होंने कुछ दिन वनवास भी किया था।

महत्वपूर्ण घटनाएँ

Mewat Ka Itihas में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ हुई हैं, जैसे कि महाभारत काल में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अलावा, गुप्त और मौर्य साम्राज्य के शासकों के समय में भी इस क्षेत्र को महत्वपूर्ण माना गया।
mewat ka itihas वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक, Mewat बीहड़ जंगलों के लिए ही जाना जाता था। यही वजह थी के कौरवों से बचने के लिए पांडवों में मेवात के क्षेत्र को ही चुना था।

समाज और संस्कृति society and culture

मेवात का समाज और संस्कृति भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यहां के लोगों की विविधता और सांस्कृतिक (society and culture ) परंपराओं ने इसे एक अद्वितीय स्थान दिया है।
Mewat ka itihas और मेवात क्षेत्र की संस्कृति ये दोनो ही पूरे भारतवर्ष में सबसे अलग मानी जाती है। जैसे यहां की परंपरा और यहां की बोली भाषा और साथ ही यहां के कला क्षेत्र भी भारत में सबसे अलग है।

Mewati language

सबसे पहले हम मेवात क्षेत्र की भाषा की बात करेंगे यहां की भाषा ऐसी है जो पूरे भारत वर्ष के लिए लोहे के चरणों को चबाने का काम जैसा है। मेवाती भाषा में अरबी, उर्दू, इंग्लिश, हिंदी, संस्कृत, प्राकृत, पाली, राजस्थानी, और हरियाणवी, भाषा का मिश्रण है । और सबसे ज्यादा इसमें पाली भाषा का मिश्रण पाया जाता है ।
पाली वह भाषा है जो प्राचीनतम भारत में बोली जाती थी, जिसमें जैन और बौद्ध धर्म का उदय और प्रचार आरंभ हुआ था। आज यह भाषा मेवात क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा बोली जाती है। साथी इनमें आधुनिक भाषाओं का भी मिश्रण है जिसकी वजह से यह भाषा एक खड़ी भाषा हो जाती है।

Mewati language के शब्द

मेवाती भाषा के हम कुछ प्रमुख शब्द नीचे दे रहे हैं जिसे आप समझ सकते हैं कि यह भाषा कितनी डेंजर खतरनाक है हालांकि यहां के लोग बड़ी सरलता से और बड़े प्यार से बोलते हैं।
हिंदी: आप किधर जा रहे हैं
मेवाती: आ कहां लू जारो है
हिंदी: आप क्या कर रहे हैं
मेवती: तू कहा कर्रो है
हिंदी: आप कहां गए थे
मेवाती: तु कहां लूं गयो हो
हिंदी: अभी आप क्या कर रहे हैं
मेवाती: तू कहा कर्रो रे
हिंदी: क्या आपने वह काम कर लिया है
मेवाती: तोसूं जा कि कहि ही कर लियो के रे तैने
हिंदी: क्या आप दिल्ली शहर जा रहे हैं
मेवाती: तु दिल्ली लूं जा रो ऐ के
हिंदी: क्या आपने रमेश को फोन कर लिया
मेवाती: तोसु नू कही वा रमेश सा लू फोन कर लियो करो है कै
इस तरीके के कुछ शब्द है, जो हमसे लिखे नहीं जा रहे हैं, और आपसे पढ़े नहीं जा रहे हैं , समझना तो बहुत दूर की बात है । यह शब्द मेवाती भाषा में और Mewat Ka Itihas में बिल्कुल आम बात है । लेकिन वही अदर साइड यह बिल्कुल ही डेंजर और खतरनाक है,  क्योंकि इनमें तू तड़ाक इस्तेमाल ज्यादा होता है

मुग़ल और ब्रिटिश काल में मेवात Mewat during Mughal and British period

 

Mewat Ka Itihas मुग़ल और ब्रिटिश शासकों के शासनकाल में भी महत्वपूर्ण रहा है।  (Mewat during Mughal and British period) इस काल में यहां पर राजनीति, सामाजिक परिवर्तन, और सांस्कृतिक विकास के कई महत्वपूर्ण अध्याय लिखे गए।
मुगल साम्राज्य की स्थापना से पहले मेवात एक स्वतंत्र साम्राज्य हुआ करता था। यहां का अंतिम और महावीर राजा हसन का मेवाती था। हसन का मेवाती को मेवात का सबसे ताकतवर और mewat history के साम्राज्य में विर्धि करने के लिए जाना जाता है। राजा हसन का मेवाती ने मंगल वंशज बाबर के सामने घुटने नहीं ठेके भले ही उसे पानीपत के युद्ध में बाबर के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
पानीपत के प्रथम युद्ध की एक अलग कहानी है जिसको हम किसी अलग आर्टिकल में लिखेंगे बस आप इतना समझ लीजिए कि यह युद्ध देशभक्ति और देश विरोधी के बीच हुआ था। Mewat ka itihas राजा हसन खान के द्वारा खूब सारा और विद्वानों ने इसको दुनिया भर के mewat history में शामिल भी किया। राजा हसन का मेवाती ने अपनी देश भक्ति का ऐसा परिचय दिया कि अपने 12000 घुड़ सवारों के सर कटा दिए, पर बाबर के सामने झुकना पसंद नहीं किया।
रही बात ब्रिटिश साम्राज्य के 1857 की स्वतंत्रता अभियान की इसमें मेवाती सेना ने सबसे ज्यादा बढ़-चढ़कर भाग लिया था। 1857 की क्रांति में 10000 से ज्यादा मेवों को शहीद किया गया था, जो पूरे देश में सबसे अव्वल नंबर थे ।  Mewat ka itihas इस बात का गवाह है-कि जब आजादी के विद्रोह को अंग्रेजों ने जब दबा दिया था, तो उसके बाद 10000 के आसपास में मेवाती लोगो को पड़कर उन्हें दरख्तों से लटका कर फांसी दी गई थी।
आधुनिक इतिहास में मुझे दुख एक बात का होता है, की स्वतंत्रता के लिए इतनी बड़ी लड़ाई लड़ने वाले मेव कॉम को कभी भी उसके हिस्से का हक दिया ही नहीं गया, यहां तक की स्वतंत्रता में उसकी भूमिका को ही इतिहासकारों ने बिल्कुल ही खो दिया। वर्ल्डवाइड हिस्ट्री आपके सामने सही जानकारी को खोज कर आप तक पहुंचाने का ईमानदारी के साथ-साथ काम करती हैं ।

राजनीति और सामाजिक परिवर्तन Politics and social change

 

मुग़ल साम्राज्य के शासनकाल में मेवात को शासन के अंगराग बनाया गया और यहां के लोगों का सामाजिक और आर्थिक विकास हुआ। ब्रिटिश शासकों के आगमन के बाद, यहां पर राजनीतिक संकटों का सामना किया गया।
  • Mewat ka itihas में लिखा गया है कि बाबर से युद्ध में भले ही राजा हसन खां को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन मेवात के प्रभुत्व को मुगलों ने बिल्कुल भी खत्म नहीं किया।  बाबर ने मेव कॉम की बहादुरी और चतुराई और ईमानदारी को देखकर मेवात क्षेत्र में विकास के कई काम किए, खासतौर से मेव कॉम के वीरों को अपनी सेना में खास  कार्यों के लिए भरती किया, और उनको उच्च-स्तरीय पदों तक भी पहुंचाया।
  • वहीं दूसरी तरफ British period में मेवात के परभुत्ये को बुरी तरीके से demolished किया गया-कि आज मेवात पूरे हिंदुस्तान में most backward इलाका माना जाता है. मेवात की राजनीति और मेवात की संस्कृति को अंग्रेजों ने ना के बराबर ही छोड़ होगा। वरना 99% तो इसको खत्म ही कर दिया है. और इसका उधारण यह है कि आज ना मेवात के पास कोई Culture है और ना ही उसका कोई importance in politics.

धर्म और सांस्कृतिक प्रभाव

धर्म और सांस्कृतिक प्रभाव

मेवात के इतिहास में धर्म और सांस्कृतिक प्रभाव का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर विभिन्न धर्मों के सम्प्रदायों का संगम हुआ और इसने इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को विविधता प्रदान की।
अर्बों के भारत आने से history of modern india तक Mewat ka itihas इस बात का गवाह है की कभी भी मेवात क्षेत्र के अंदर सांप्रदायिक दंगे हुए ही नहीं । Delhi Sultanate में ही मेवात क्षेत्र के सोनपाल जो कोटला के राजा थे वह मुसलमान हुए थे । उसके बाद से Mewat ka itihas में कभी-भी हिन्दी-मुस्लिम देंगे नहीं हुए । मुगल साम्राज्य में भी सांप्रदायिक दंगे हुए थे लेकिन मेवात इनमें भी अछूता रहा, इसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति में भी मेवात में हिंदू मुस्लिम के सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए थे।
हां कुछ समय पहले ही मेवात में एक छोटा सा सांप्रदायिक दंगा हुआ था-जो मेवात के अंदर रहने वाले आपस के लोगों के बीच, ना-होकर भाजपा और आरएसएस के कुछ बाहरी गुंडे और मेवात के लोगों के बीच हुआ था, जिसको इतिहासकार मेवात के आपसी लोगों का सांप्रदायिक दंगा मानते ही नहीं है।

स्वतंत्रता संग्राम Mewat ka itihas 1857

 

Mewat ka itihas में मेवात ने भारतीय Freedom Struggle में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहां के योद्धाओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और Freedom Struggle  के लिए अपनी जानें न्यौछावर की। जंग-ए-आज़ादी के बारे में ‘मेवाती रिबेलीयन का 1857 पुस्तक’ में पूरी डिटेल से 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के बारे में बताया गया है।
इस पुस्तक में मेवात के स्वतंत्र 1857 के अभियान के बारे में बताया है-कि मथुरा से लेकर रोहतक तक मेव मुसलमानों की लाशों को अंग्रेजों में मारकर लटकाया दिया था। इस किताब के हिसाब से 22 से 25000 तक लाशों का उल्लेख करते है। इस किताब में कहा गया है की इन लाशों की ना कभी गिनती हुई और ना ही कभी किसी भी इतिहासकार ने इन शहीदों के बारे में लिखना मूनासिब नही समझा।

मेवात के योद्धाओं की भूमिका

मेवात के योद्धाओं ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सामना किया। उनकी वीरता और साहस ने देश को स्वतंत्रता की दिशा में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मेवात के वीर और महान योद्धाओं के बारे में ब्रिटेन के Brigadier General Sawant ने लिखा है कि मेवात के घुड़सवारों का डर उन्हें हर समय सताता रहता था। और  भारत के तमाम योद्धाओं से ज्यादा बढ़-चढ़कर सतर्क हमें रहना पड़ता। Brigadier General Sawant वोह था जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान अपनी सेवा भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए दी थी ।

आधुनिक मेवात modern mewat

आधुनिक मेवात modern mewat
स्वतंत्रता के बाद, मेवात ने आधुनिकता की दिशा में अपने कदम बढ़ाए। यहां पर राजनीति, आर्थिक विकास, और सामुदायिक उत्थान के कई पहलुओं में सुधार किया गया। जिसे आज modern mewat भी कहते हैं।

राजनीति और आर्थिक विकास

मेवात के आधुनिक इतिहास में राजनीति और आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत आर्थिक विकास की कई पहलुओं में सुधार किया गया।

सामुदायिक उत्थान और चुनौतियाँ

मेवात के सामुदायिक उत्थान और चुनौतियों की चर्चा की जा सकती है। यहां के लोगों को आधुनिक विकास की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए नई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

मेवात का भविष्य

मेवात का भविष्य भारतीय समाज और राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यहां के विकास के क्षेत्रों में नई संभावनाएं हैं, जो इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी।

विकास के क्षेत्रों में संभावनाएँ

मेवात के भविष्य के संदर्भ में विकास के क्षेत्रों में कई संभावनाएं हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास। यहां के लोगों को इन संभावनाओं का सही रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
मेवात में आज भी 70% आबादी अनपढ़ होती है। यह चौकने वाली बात नहीं है यही सच है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है-कि विश्व के महागुरु कहे जाने वाले भारत की राजधानी से मेवात क्षेत्र सिर्फ और सिर्फ 60 किलोमीटर दूर है। फिर भी यह क्षेत्र भारत का सबसे बिछड़े क्षेत्र माना जाता है।
जिन वीरों ने भारत की आजादी के लिए और अपनी patriotism के लिए जान कुर्बान की।  आज वह अपनी कबरों में रहते हुए क्या सोच रहे होंगे कि हमारा यह क्षेत्र इतना क्यों backward गया । Mewat ka itihas से अगर देखा जाए तो यहां दो चीजों की बहुत कमी है एक शिक्षा और दूसरी है हेल्थ की । सरकारी स्कूल और हॉस्पिटलों की तो मैं चर्चा हि क्या करूं । यहां शायद ही कोई एक अस्पताल या स्कूल होगा जिसमें सही से इलाज या फिर अच्छी तरीके से पढ़ाई होती होगी। बाकी तो मुझे लिखने की जरूरत नहीं है ।
Mewat ka itihas और मेवात क्षेत्र में अगर विकास के क्षेत्रों में संभावनाएँ की उम्मीद ना के बराबर लगती हैं। मेवात क्षेत्र में विकास की बात की जाए तो यहां शिक्षा बहुत ही ज्यादा जरूरी है । सरकार को यहां इसको शक्ति से लागू करना होगा और इसके लिए पूरे प्रयास और सही से संसाधन उपलब्ध कराने होंगे।

समाज में परिवर्तन की दिशा

मेवात के भविष्य में समाज में परिवर्तन की दिशा में भी महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं। यहां के लोगों को अपने समाज को आधुनिकता की दिशा में ले जाने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
जल्द से जल्द अगर मेवात के लोगों ने अपने समाज में परिवर्तन नहीं किया तो Mewat ka itihas इस बात का गवाह बनेगा। कि Modern period में जब दुनिया चांद, मंगल, शनि, और सूर,  जैसे ग्रहों की ओर आग्रह हो रही थी, तब वहीं this world में एक समाज ऐसा भी था , जो वापस आदिमानव काल की तरफ जा रहा था। और इसका मुख्य कारण एक ही होगा-कि उस समाज ने शिक्षा को महत्व नहीं दिया ।

निष्कर्ष Mewat ka itihas

मेवात का इतिहास एक गहरा और रोचक क्षेत्र है, जिसमें समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत छिपी है। इसका अध्ययन करना हमें हमारे समाज और इतिहास के प्रति गहरी समझ प्रदान करता है।

Mewat Ka Itihas अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs

1. मेवात किस राज्य में स्थित है?
  • मेवात हरियाणा राज्य में स्थित है।
2. मेवात का इतिहास क्यों महत्वपूर्ण है?
  • मेवात का इतिहास हमें भारतीय समाज और संस्कृति के विकास की महत्वपूर्ण धारा को समझने में मदद करता है।
3. मेवात के इतिहास में मुग़ल और ब्रिटिश काल का क्या महत्व है?
  • Mewat Ka Itihas में मुग़ल और ब्रिटिश काल का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इसके दौरान यहां पर विभिन्न सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन हुए।
4. मेवात के स्वतंत्रता संग्राम में कौन-कौन शामिल थे?
  • मेवात के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले कई महान योद्धाओं में खान अब्दुल गफ्फार खान, मौलाना अब्दुल राहिम खान, और सय्यद अब्दुल गफ्फार खान शामिल थे।
5. मेवात के भविष्य में क्या संभावनाएँ हैं?
  • मेवात के भविष्य में विकास के क्षेत्रों में कई संभावनाएं हैं, जो इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने में मदद करेंगी।
इस प्रकार, Mewat Ka Itihas हमें उसके समृद्ध और गहरे इतिहास की ओर आग्रहित करता है, जो हमारे समाज को समझने में मदद करता है।

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