History of India in Hindi ~ In The World Sindhu Sabhyata 3

history of india in hindi

आज की पोस्ट है हम जानेंगे भारत का इतिहास के बारे में। history of india in hindi मे sindhu ghati sabhyata तक। इस सीरीज का ये तीसरा भाग है पहले दो भाग में हम जान चुके हैं द्रविड़ और कौल लोग कौन थे। सबसे पहले भारत में कौन लोग रहते थे।

अब यहां से हम जाना शुरू करेंगे indian history में सिंधु घाटी की सभ्यता क्या थी। बहुत अहम् कड़ी है यह हमारे भारत के इतिहास के लिए । भारत का इतिहास अत्यंत गहरा है और साथ ही इतना प्राचीन है कि इसके बारे में पूरी जानकारी तो क्या आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। जिस दौर में भारत में सिंधु घाटी सभ्यता थी उस समय भारत एक अखंड भारत के नाम से जाना जाता था। आज के आधुनिक भारत में देखा जाए तो हिंदुस्तान के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान तक भारत फैला हुआ था और यही इसकी प्राचीनतम history of india in hindi है जिसकी पुष्टि सिंधु घाटी सभ्यता के मिलने के बाद हो गई है।

दुनिया के सबसे प्रसिद्ध इतिहासकार  V. A.  Smith ने लिखा अपनी पुस्तक history of india in hindi में लिखा के भारत के प्राचीनतम लोग काफी एडवांस थे। साथी अपने बारे में राम पत्रों में लिखते थे यह भाषा पाली भाषा प्राकृत भाषा या फिर संस्कृत भाषा में होते थे और यही मिले मोहनजोदारो की खुदाई में बहुत से ताम्रपत्र मिले हैं।

ये ताम्रपत्र वर्गाकार व आयताकार हैं। इनमें एक और मनुष्य अथवा पशुओं के चित्र बने हैं और दूसरी कार लेख लिखे हैं। इन तरामपत्रों पर लिखे गए लेख को अभी तक कोई भी इतिहासकार पढ़ नहीं सका है और यही वजह है कि सिंधु सभ्यता की जो अत्यंत प्राचीनतम हिस्ट्री है इसके बारे में अभी भी रहस्य ही बना हुआ है।

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विभिन्न प्रकार की धातुओं के भिन्न-भिन्न प्रकार की वस्तुओं के बनाने में ये लोग बड़े कुशल थे। मूल्यवान रत्नों को कांट-छांटकर यह लोग आभूषण बनाते थे। सोने, चांदी, तांबे आदि के भी आभूषण बनाये जाते थे। शंख तथा सीप से भी विभिन्न प्रकार की चीजें बनाई जाती थीं। खुदाई में यह भी पता लगाया गया मोहनजोदारो और हड़प्पा जैसे प्राचीन शहरों में सोने का बहुत बड़ा कारोबार किया जाता था। ऐसे शहरों की वजह से ही भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। मोहनजोदारो में ऐसे बहुत से ताम पत्र मिले जो इस बात को साबित करते हैं-कि यह प्राचीन शहर भव्य खूबसूरत और काफी खुशहाल तो थे ही-यह काफी एडवांस भी थे।

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खुदाई में जो चीजें मिली हैं, उनसे सिन्धु घाटी के लोगों के political life पर बहुत कम प्रकाश पड़ा है। परन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि सिन्धु, पंजाब, पूर्वी बिलोचिस्तान तथा काठियावाड़ तक विस्तृत सिन्धु सभ्यता के क्षेत्र में एक संगठन, एक व्यवस्था तथा एक ही प्रकार का शासन था। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र में एक ही प्रकार की नाप तथा तौल प्रचलित थी, एक ही प्रकार के भवनों का निर्माण होता था, एक ही प्रकार की मूर्तियां बनाई जाती थीं तथा एक ही प्रकार की लिपि का प्रचार था। गमनागमन के साधनों की कमी होने के कारण इस विशाल साम्राज्य की सम्भवतः दो राजधानियां थीं, एक हड़प्पा और दूसरी मोहनजोदड़ो में इन्हीं दोनों केन्द्रों से उत्तर तथा दक्षिण का शासन चलना था।

हड़प्पा उत्तरी साम्राज्य की और मोहनजोदड़ों दक्षिणी साम्राज्य की राजधानी थी। Hindustan पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, इन सभी देशों के लोग आज भी एक ही तरह की भाषा और एक ही तरह की ही ज्यादातर मूर्तियों की पूजा करते हैं।
बाद के भारत के इतिहास में हिस्ट्री ऑफ इंडिया इन हिंदी में लिखा गया है की इन्हीं सभ्यता के वंशज के लोगों ने आगे चलकर भारत की राजनीतिक इकाई को नई दिशा दी भारत की जितनी भी राजनीतिक इकाई थी वह सिंधु सभ्यता के आसपास ही थी जहां सिंध, दिल्ली, आसाम, बंगाल, लाहौर, या फिर सरहिंद जैसी।

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निवासी-
अब इस पर विचार कर लेना आवश्यक है कि ऊपर जिस सभ्यता का वर्णन किया गया है, उसके निर्माता कौन थे? इस सम्बन्ध में विद्वानों में बड़ा मतभेद है। विद्वानों की धारणा है कि सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही आर्य थे जिन्होंने वैदिक सभ्यता का निर्माण किया था। परन्तु यह मत ठीक नहीं लगता, क्योंकि सिन्धु सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में इतना बड़ा अन्तर है कि एक ही जाति के लोग इन दोनों के निर्माता नहीं हो सकते।

कुछ विद्वानों के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता सुमेरियन जाति के थे। एक विद्वान के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता वही असुर थे जिसका वर्णन वेदों में मिलता है। प्रो० रामलखन बनर्जी के विचार में सिन्धु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ लोग थे। चूंकि दक्षिण भारत के द्रविड़ों के मिट्टी और पत्थर के वर्तन, तथा उनके आभूषण सिन्धु घाटी के लोगों के बर्तन तथा आभूषणों से मिलते जुलते हैं, अतएव यह मत अधिक ठीक प्रतीत होता है।


परन्तु खुदाई में जो हड्डियां मिली हैं, वह किसी एक जाति की नहीं, history of india in hindi के अनुसार विभिन्न जातियों की हैं। अतएव कुछ विद्वानों ने यह निष्कर्ष निकाला है कि सिन्धु घाटी के निर्माता मिश्रित जाति के थे। यही मत सबसे अधिक ठीक लगता है। आज के आधुनिक युग में भी भारत तमाम जातियों को लेकर अपने आप में एक अनोखा देश है।

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इतिहास में कोई भी सभ्यता हो या कोई भी सल्तनत हो सबसे पहले उसकी प्रमुख पहचानों को ही खोजा जाता है। और यही खोजा जाता है सिंधु घाटी की सभ्यता में, history of india in hindi के तहत सिंधु घाटी की मुख्य पहचानो को जिनको हम नीचे क्रमांक नंबर में गिन आते हैं।

(1) धर्म –
द्विदेवतामूलक सभ्यता सिन्धु घाटी के लोगों का धर्म द्विदेवतामूलक था, परम पुरुष के साथ-साथ वे परम नारी के भी पूजक थे।

(2) लेखन कला का ज्ञान-
सिन्धु घाटी के निवासियों को लेखन कला का भी ज्ञान था, यद्यपि मुहरों पर मिली हुई लिपि का अभी तक निश्चय नहीं किया जा सका है, किन्तु इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि इसके माध्यम द्वारा वे विचारों का आदान-प्रदान करते थे।


(3) अन्य सभ्यताओं से सम्बन्धित सभ्यता-
सिन्धु घाटी की सभ्यता की एक बहुत बड़ी विशेषता यह थी कि वह एकाकी (ऐक ही) सभ्यता ना थी, वरनु तत्कालीन अन्य सभ्यताओं मे इसका बड़ा घनिष्ठ सम्बन्ध था, क्योंकि यहां के लोग विदेशों के साथ अपना घनिष्ठ सम्बन्ध बनाये हुए थे।

(4) महादेवी की उपासना-
खुदाई में ऐसी मोहरें तथा मूर्तियां मिली हैं जिनमें खड़ी हुई नारी का चित्र अंकित है। सर जॉन मार्शल के विचार में यह महादेवी का चित्र है, जिसकी उपासना सिन्धु घाटी के लोग किया करते थे। यही महादेवी आगे चलकर शक्ति हो गई, जिसकी पूजा आजकल भी हिन्दू लोग करते हैं।


(5) प्रकृति पूजा –
सिंधु घाटी के लोग विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों की भी पूजा किया करते थे। ये लोग सूर्य तथा अग्नि की पूजा किया करते थे। जलपूजा भी इन लोगों में प्रचलित थी। ये लोग कुछ वृक्षों को भी पवित्र मानते थे, जिनकी वह पूजा किया करते थे। पीपल तथा तुलसी की पूजा आज भी हिन्दुओं में प्रचलित है। खुदाई में पशु मूर्तियां भी मिली हैं। इससे यह अनुमान लगाया गया है कि यह लोग पशु की भी पूजा किया करते थे। गाय को आजकल भी हिन्दु पवित्र मानते हैं और उसकी पूजा किया करते हैं।

क्या पता शायद उस समय में भी लोग गाय की पूजा क्या करते हों। इसका पुख्ता सबूत किसी के पास नहीं है। आज के समय में सिन्धु घाटी जिसको आज सिंध नदी के नाम से जानता है। आज पंजाब और पाकिस्तान के पंजाब दोनों में है। हिंदू धर्म में गाय के पूजा सबसे प्राचीनतम यही की है क्या पता शायद सिंधु सभ्यता मैं गाय को पूजा जाता हूं और आगे चलकर उनके वंशजों ने भी इसी प्रथा को आगे रखा फिर यही प्रथम पूरे भारत में फैल गई।

history of india in hindi उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट हो जाता है कि आजकल के हिन्दु धर्म का बीजारोपण सिन्धु घाटी के प्रदेश में ईसा से लगभग चार सहस्त्र वर्ष पूर्व हुआ था। इसी से डा० रमाशंकर त्रिपाठी ने लिखा है, “आजकल के लोकप्रिय हिन्दु धर्म में बहुत से ऐसे तत्व विद्यमान हैं जिनसे प्रमाणित हो जाता है कि भारतीय संस्कृति की युगांतर में अद्भुत निरन्तरता बनी रही।

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संगीत और कला ईसकी history पूरी दुनिया में बहुत ही पुराना है। पुराने समय से ही लोग इसको सुनना देखना बहुत ज्यादा पसंद करते थे। समय-समय पर इस दोनों कलाओं में एक से बढ़कर एक artist और कलाकार पैदा हुए। लेकिन भारत का इन दोनों ही कलाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण है, चाहे पहले का दौर हो या आज का दौर हो। पहले के समय में भी भारत एक से बढ़कर एक कलाकार और आर्टिस्ट है। और यही कला और आर्टिस्ट सिंधु घाटी के लोगों में भी पाई गई थी। इस बात की पुष्टि history of india in hindi के तहत R.K. Mukherji ने की है जो कुछ इस तरह है।

(1) नृत्य तथा संगीत कला-
सिन्धु घाटी के लोग नाचने-गाने में भी बड़े कुशल थे। खुदाई में एक नर्तकी की मूर्ति मिली है। नर्तकी का शरीर नग्न है, परंतु उस पर बहुत से आभूषण बनाए गये हैं। इस मूर्ति के सिर के बालों को बड़ी उत्तमता से संवारा गया है। खुदाई में जो छोटे-छोटे बाजे मिले हैं, उनसे भी यही ज्ञात होता है कि यह लोग संगीत कला में रुचि रखते थे। तबले तथा ढोल के भी चिन्ह कुछ स्थानों में मिले हैं।

(2) चित्रकारी
सिन्धु घाटी के लोग चित्र कला में बड़े कुशल थे। मुहरों की सबसे अच्छी चित्रकारी सांड तथा भैंसों की है। सांडों के चित्र अत्यन्त सजीव तथा सुन्दर हैं। history of india in hindi मैं अब तक की सबसे बेस्ट चित्रकार मानी जाती है।

(3) मूर्ति कला निर्माण-
सिंधु घाटी के लोग मूर्तियों के बनाने में बड़े सिद्धहस्त थे। यह मूर्तियां मुलायम पत्थर तथा चट्टान को काटकर बनाई जाती थीं। इन मूर्तियों की प्रमुख विशेषताएं यह हैं कि इनके गाल की हड्डियां स्पष्ट रहती हैं। इनकी गर्दन छोटी मोटी तथा मजबूत होती है और आंखें पतली तथा तिरछी होती हैं।

(5) पात्र निर्माण कला-सिन्धु घाटी के लोग मिट्टी के बर्तनों के बनाने की कला भी जानते थे। इतिहासकार मानते हैं कि उसे दौर में शायद सोने और चांदी के बर्तन भी बनाए जाते होंगे क्योंकि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसी सभ्यता में ऐसा होना संभव है।

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मोहनजोदारो और हड़प्पा की खुदाई से इस बात का पता चलता है। पुरातन काल भारत में लगभग आज से 5000 साल पहले भारत के लोग बाकी दुनिया से काफी ज्यादा एडवांस थे, उन लोगों का रहन सहन और उनके पास पैसे सोना चांदी की तो कमी ही नहीं थी। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में यह बात तो सिद्ध हो गई के भारत के प्राचीनतम लोग ही मछली अंडा मांस वगैरा का सेवन करते थे और साथ ही यह चावल और गेहूं की रोटी का भी इस्तेमाल करते थे। इतिहासकार मानते हैं के भारत की प्राचीनतम हिस्ट्री ऑफ इंडिया इन हिंदी के तहत हड़प्पा और मोहनजोदड़ो शहर के लोग आर्य थे आर्य कौन है इसके बारे में मैं बात ही दिया है।

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उपर्युक्त विशेषताओं से यह स्पष्ट जाता है कि आज से लगभग पांच सहस्त्र वर्ष पूर्व सिन्धु सरिता की घाटी की गोद में एक ऐसी समुन्नत सभ्यता अंकुरित, पुष्पित, पल्लवित तथा फलान्वित हुई थी जिसकी उत्कृष्टता का अवलोकन कर आज के सभ्यताभिमानी देश भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। history of india in hindi. से सिन्धु घाटी की सभ्यता की यह पोस्ट आप लोगों को कैसे लगी। आप हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं। और इस पोस्ट को आप फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम, सभी जगह शेयर करें, ताकि संपूर्ण भारतवासी अपने इतिहास को जान

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