Chaturbhuj Temple Orchha यहां कई प्राचीन मंदिर, किले और महल हैं, जो इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को साकार करते हैं। ओरछा का चतुर्भुज मंदिर इस श्रृंगारशील नगर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो भारतीय संस्कृति के अनुपम रूपक और भव्यता का प्रतिनिधित्व करता है।
Chaturbhuj Temple Orchha Historical Background
चतुर्भुज मंदिर, ओरछा, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। यह एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है जो 16वीं सदी में निर्मित किया गया था। मंदिर का निर्माण महाराजा मान सिंह द्वारा किया गया था। चतुर्भुज मंदिर का नाम इसलिए है क्योंकि इसमें चारों ओर चार मुख होते हैं। यह मंदिर हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है और अपनी भव्य वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है, जिसे संजीवनी बूटी के रूप में पहचाना जाता है। यहां पर हिन्दू धर्म के अनेक पर्व और उत्सव मनाए जाते हैं, जिससे इसका महत्व और उच्चता बढ़ जाता है।
Chaturbhuj Temple Orchha की दुसरी कहानी यह है। जब रानी ने जिद कारी राजा से और राम भगवान के दर्शन करने पहुंच गई वह अवध में और वहां से बाल रूपी राम भगवान को लेकर आई और Chaturbhuj Temple Orchha पर स्थापित किया । मध्य प्रदेश ओरछा के 450 वर्ष पुराने Chaturbhuj Temple Orchha दोस्तों इस पूरे मंदिर का जो बाहरी नजारा है वो आज भी अपनी उसी Historical दृष्टि से देखने पर उतना ही ज्यादा अद्भुत लगता है जिस दृष्टिकोण को मध्य नजर रखते हुए यहां के राजाओं ने इसे बनवाया था. अपनी रानी सा के कहने पर उनकी इच्छा पर.
बहुत सारी विंडोज के साथ में ओपन गेट्स के साथ आर्चीज के साथ में नगर शैली के ऊपर बना हुआ ये पूरा Chaturbhuj Temple Orchha आज आपको बहुत ज्यादा भव्य दिखाई देगा जमीनी स्तर से 105 मीटर ऊंचा यह मंदिर. 67 खूबसूरत सीढ़ियों और ईरानी आर्किटेक्ट के साथ आज भी यह उसी Historical Background के साथ खड़ा है जिस तरीके से इसको डिजाइन किया गया था।
Architecture and Design

चतुर्भुज मंदिर का वास्तुकला महानता और भव्यता को प्रकट करता है। इसका डिज़ाइन बहुत ही सुंदर और समृद्धिपूर्ण है, जो दर्शकों को आकर्षित करता है। इस मंदिर का आकार और निर्माण संगठित है और सामंजस्यपूर्ण रूप से विकसित कियाहै और सामंजस्यपूर्ण रूप से विकसित किया गया है। वास्तुकला में इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्ण भूमिका है, जो इसे अद्वितीय बनाती है।
मंदिर के थोड़ा अंदर आने के बाद में आपको इसके विशाल जो दरवाजे हैं जो द्वार हैं जो दिखाई देंगे, अंदर जाने के बाद आप कई चीज ऐसी देखेंगे जिनको देखकर आप हैरान हो जाएंगे।
अंदर प्रवेश करते ही राइट और लेफ्ट की तरफ हमें तीन मेहराबों वाले दबाल दिखाई दिए और इन दलाल के ऊपर के हिस्से में फूल बनाए गए हैं।
जब हम और अंदर गए तो हमने देखा की कुछ आगे जा के तुलसी माता को स्थापित किया गया है. तकरीबन यह देखने में ऐसा लगती है की यह 30 से 50 फीट ऊंची रही होगी और सुंदरता को और भी ज्यादा अद्भुत बना देता है । थोड़ा सा आगे जाने के बाद Chaturbhuj Temple Orchha के बिल्कुल मध्यस्थ भाग में आने के बाद में आप अपनी नजरों को इसके बिल्कुल ऊपरी गोल गुंबद वाले भाग पर लेकर जाइए जिसको देखने के बाद में आप हैरान हो जाएंगे ।
Chaturbhuj Temple Orchha वास्तुशिल्प और डिज़ाइन टाइम टेबल
अगर हम बात करते हैं 1554 से लेकर 1592 के समय की जो यहां के राजा Hardol Singh जिन्होंने बुंदेलखंड में काफी सारी इमारते बनवाई उन्होंने 1574 के समय में इस मंदिर की नीव राखी थी लेकिन 1578 के समय में पास के ही इलाके में मुगलों के आक्रमण के कारण राजकुमार Hardol Singh की उस युद्ध के अंदर हो गए मृत्यु और जिस वजह से इस Chaturbhuj Temple Orchha का निर्माण कार्य रुक गया |
और उसके बाद में विगत वर्षों में यानी की जब शासन आता है Veer Singh Judev का 1605 से लेकर 1627 का तो उसी समय 1622 के वक्त में इस मंदिर के अधूरे कम को और आगे बढ़ाया गया ।
राम भगवान को समर्पित Chaturbhuj Temple Orchha वाला मंदिर बाद में बन गया कृष्ण भगवान का, यानी की विष्णु जी के अवतार का चतुर्भुज मंदिर चारभुजा वाला मंदिर है इसी वजह से ही इसको चतुर्भुज के नाम से भी जाना जाता है।
Ram लल्ला के चतुर्भुज आने का कारण
अब हम चलते हैं पंडित जी के पास में और यहां के उन सारी बारीकियां को समझते हैं की क्यों यहां पर रानी ने इस मंदिर को बनाने की इच्छा कारी और क्या इसके पीछे का इतिहास है
पंडित जी: प्रणाम जी सर मंदिर बनवाया था जो रानी राम के भक्त द राजा कृष्ण के द राजा रानी का आपस के विवाद हुआ उन्होंने कहा अपन एक भक्ति करेंगे तो एक जगह चलेंगे राजा ने कहा ये तो ठीक है तब उन्होंने मथुरा वृंदावन गए|
सोचा राजा को अपनी भक्ति का विश्वास किया मेरी राम भक्ति के विश्वास नहीं किया तो रानी राजा के सामने प्रतिज्ञा करती हैं की हम सही रामभक्त होंगे तो राम को लेकर आएंगे ना तो सरजू मैया में अयोध्या जी में प्राण त्याग दूंगा मैं आपकी नगर में वापस नहीं आएंगे जब रानी अयोध्या जी पहुंची सरजू मैया के नाना तपस्या करने लगी तपस्या करते-करते समय बीट गया जय भगवान नहीं मिले तो रानी सरजू मैया में प्राण त्यागने के लिए खूनी तो भगवान बाल रूप में उनकी गोद में आए उनसे कहा रानी आप को दर्शन मिले अपने घर वापस लौटो उनने की नहीं हम आपको लेकर जाएंगे वर्ण वापस नहीं आएंगे है तो भगवान ने कहा जैसी प्रतिज्ञा से आप आए वैसी प्रतिज्ञा से मैं चलूंगा उन्होंने कहा आप बोलो हम स्वीकार करेंगे उन्होंने कहा पुख नक्षत्र में चलेंगे जहां बैठ जाएंगे वहां से उठेंगे नहीं जहां जाएंगे वहां रामराज रहेगा. आपके राजा का राज नहीं रहेगा दिन में रहेंगे Chaturbhuj Temple सहन करेंगे।
अयोध्या ये सारी शर्तें मंजूर करके जब भगवान आने के लिए तैयार हुए तो रानी ने राजा को सूचना भेजी की आप मंदिर बनवाए भगवान आने के लिए तैयार हैं. तब राजा को अहंकार हुआ की मैं ऐसा मंदिर बनवा के भगवान बैठक दर्शन करेंगे देखिए आप बुझाओ का देखें राजा अपने झरोखे से देखना चाहते द की भगवान को उठाते बैठक दर्शन करेंगे लेकिन भगवान तो तीन लोको के antraven भगवान ने सोचा मैं अयोध्या से चल रहा हूं.
राजा अपने महल से देखेंगे भगवान ने ऐसा चलना शुरू किया की यह मंदिर पूरा कंप्लीट नहीं हो पाया । काम बड़ी तेजी से चल रहा था तो रानी ने सोचा की रसोई घर अपनी शुद्ध अपन लोग रसोई घर शुद्ध मानते हैं तो कुछ समय के लिए रसोई abrajman कर दें कुछ समय बाद जी मंदिर पूरा हुआ तो हम यहां पर फिर उठा लेंगे रानी ने कुछ समय बाद यह मंदिर पूरा हुआ रानी ने उठाने का प्रयास किया तो भगवान ने कहा रानी उसे प्रतिज्ञा को भूल गई जो सरजू मैया में की थी ये जहां बैठ जाएंगे हम उठेंगे नहीं उन्होंने कहा ये तो थी तब रानी ने Chaturbhuj Temple general knowledge, रसोई में बनवाना शुरू कर दिया.
राजा कृष्ण के भक्त द राजा ने सोचा ना भव्य मंदिर बनवाया एक राज्य में दूर रजनी रहेंगे राम राजा कृष्ण राजा तब राजा ने यहां विष्णु भगवान लक्ष्मी जी राधा जी कृष्ण जी तो ये चतुर्भुज के नाम से बोलते हैं वो राम लाल सरकार के नाम से बोला जाता है वहां रानी महल जहांगीर महल शीश महल प्रवीण महल चार महल थोड़े आगे बेतवा नदी जो भोपाल से निकली हुई है याददाश्त के लिए यह Chaturbhuj Temple राम मंदिर फूल बाग में हरदोल जी का शब होगा 2 साल बड़ों के नाम से खम्मा बोले जाते हैं राम मंदिर के पीछे लक्ष्मी जी का मंदिर है जय यहां का इतिहास है इसीलिए राजा के रूप में वो राजाराम को सलामी दी जाती है अन्य किसी राजा को या सलामी लगती है इसीलिए राजाराम गए साक्षात प्रमाण है सच्चे मानने वाले को आज भी आनंद है इसीलिए ये यहां का इतिहास है जय श्री राम.
तो पंडित जी के जुबानी हमने उसे पूरे इतिहास को जाना जो यहां पर राजा रानी और भगवान राम के साथ में जुड़ा हुआ है
आस-पास के आकर्षण
चतुर्भुज मंदिर के आस-पास कई और भी प्राचीन स्थल हैं, जो पर्यटकों को उनकी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के कारण आकर्षित करते हैं। इन स्थलों में किले, अन्य मंदिर, एवं प्राचीन इमारतें शामिल हो सकती हैं, जिनका दौरा करना यात्रियों के लिए एक रोमांचक अनुभव होता है।
Tourism and Visitor Experience

चतुर्भुज मंदिर ओरछा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहाँ पर्यटकों को मंदिर के साथ ही अन्य प्राचीन स्थलों का भी आनंद लेने का मौका मिलता है। यहाँ के वातावरण में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को अनुभव करने का अद्वितीय अनुभव होता है। आने वाले पर्यटक मंदिर के साथ ही विभिन्न प्राचीन बागों और आकर्षणों का भी दौरा करते हैं, जिससे उन्हें और भी अधिक आनंद और संतोष मिलता है। बाकी इसकी डिजाइन और वास्तु सेल और इसके इतिहास के बारे में हमने ऊपर बात ही दिया है।
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Chaturbhuj Temple Orchha Conclusion
Chaturbhuj Temple Orchha के एक महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में उच्च प्रतिष्ठा है। इसके विशाल और भव्य संरचना में भारतीय संस्कृति और विरासत की गहरी छाप है। यह मंदिर भारतीय धार्मिकता और विविधता को प्रकट करता है और पर्यटकों को अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का मनोरंजन करता है। इसकी भव्यता और विशेष आकर्षण के कारण, यह मंदिर भारतीय और विदेशी यात्रियों के लिए एक प्रमुख धरोहर स्थल है।