Sayyid Dynasty Mubarak Shah Great Woriarr 1421 To 1434

Sayyid dynasty Mubarak Shah

परिचय: Sayyid dynasty Mubarak Shah का शासनकाल 1421 से 1434 तक एक महत्वपूर्ण अवधि थी, जिसमें राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिवर्तन हुए। इस युग ने क्षेत्र के भविष्य की दिशा को आकार दिया। आइए इस प्रभावशाली नेता के जीवन और शासनकाल पर गौर करें और उनके स्थायी प्रभाव को समझें। Mubarak Shah कोण थे चले जानते। प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि सय्यद वश Mubarak Shah का जन्म एक उच्च कुलीन परिवार में हुआ था, उसके पिता खिज्र खां का दिल्ली का सुल्तान था जिसने सैयद वंश की नीव डाली थी। Mubarak…

सिकंदर लोदी कोन थे? Extraordinary Sikander Lodhi Grow All’  You Need To Know

Sikandar Lodhi कोन है

Sikander Lodhi Introduction (सिकंदर परिचय): इस पोस्ट में, हम सिकंदर लोदी के जीवन और उसके युग की गहराईयों में गतिशीलता से खोजते हैं। Sikandar Lodhi भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति थे, जिनका योगदान राजनीति, साहित्य, धर्म, और सामाजिक संरचना के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहा। इस पोस्ट में, हम उनके जीवन के मुख्य अध्यायों को अन्वेषण करते हैं, सिकंदर लोदी के शासनकाल की राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रकृति को समझते हैं, और उनके समय की दृष्टि से उनके प्रभाव को विश्लेषण करते हैं। यह पोस्ट उन सभी पाठकों के…

दिल्ली सल्तनत क्यों प्रसिद्ध है 1206 इस्लाम का जन्म कब हुआ

दिल्ली सल्तनत क्यों प्रसिद्ध है

दिल्ली सल्तनत क्यों प्रसिद्ध है: दिल्ली सल्तनत (1206 से 1526) मध्यकालीन भारत के इतिहास की एक प्राचीनतम कहानी (Hustory) है जिसमें कुछ उथल-पुथल मौजूद है. Delhi Sultanate इन्हीं उथल-पुथल की वजह से ही दिल्ली सल्तनत इतनी प्रसिद्ध है । पूरे विश्व भर में जिसकी जिज्ञासा जानने की हर एक की इच्छा होती है । दिल्ली सल्तनत क्यों प्रसिद्ध है, इसके कई कारण मौजूद हैं राजनीतिक, धार्मिक कारण, विदेशी कारण, और शासन काल कारण, यहां की वीरता के कारण, और सबसे खास बात यहां है, सोने की चिड़िया कहे जाने वाले…

दिल्ली सल्तनत में गुलाम वंश कौन है ~ कुतुबुद्दीन ऐबक 1206 ई से 1210 ई

Qutubuddin Aibak

गुलाम वंश कौन है : पूरी दुनिया में गुलाम प्रथा प्राचीन काल से ही लागू हो गई थी। गुलाम प्रथा का मतलब होता है , युद्ध में हारने वाले कैदी या बंदियों को जीतने वाले गुलाम बना लेते थे और उनमें से प्रतिभावान तथा योग्य व्यक्तियों को सेना में भर्ती कर लेते थे और उन्हें शासन का भार सौंप दिया करते थे। युद्ध के कैदियों के अलावा गुलामी के बाजार भी लगते थे और इन बाजारों से अमीर लोग गुलामी को खरीद कर उन्हें अपना सेवक बना लेते थे ।…