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sindhu ghati sabhyata: एक प्राचीन एवं महत्वपूर्ण संस्कृति P2

sindhu ghati sabhyata

sindhu ghati sabhyata  एक प्राचीन संस्कृति थी जो विश्व के एक प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। इस संस्कृति की महत्वपूर्णता और प्राचीनता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी उत्पत्ति विश्व के सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक के रूप में मानी जाती है। इस संस्कृति का अध्ययन करना हमें अपने इतिहास के विविध पहलुओं की ओर देखने का मौका देता है।

sindhu ghati sabhyata की स्थिति और प्राचीनता

सिन्धु घाटी का क्षेत्र आधुनिक भारत और पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित है। यहाँ पर स्थित सिन्धु, रावी, बेअस, और घग्गर-हकरा नदियों के क्षेत्र में सिन्धु घाटी सभ्यता की उत्पत्ति हुई। 18 वीं सदी से पहले किसी को भी यह नहीं मालूम था कि जिस जगह हम रह रहे हैं यहां एक प्राचीनतम सिंधु घाटी के नाम से सभ्यता रह चुकी है।

सिन्धु घाटी की प्राचीनता Antiquity of Indus Valley

सिन्धु घाटी की सभ्यता की उत्पत्ति का समय लगभग 3300 से 5000 ईसा पूर्व माना जाता है। यह एक समृद्ध और विकसित सभ्यता थी जो विज्ञान, कला, और शिल्प में अग्रणी थी। sindhu ghati sabhyata की खुदाई में जो अवशेष मिले हैं वह अविस्मरणीय है जिससे इसकी कल और शिल्प के साथ-साथ विज्ञान का अंदाजा भी लगाया जा सकता है कि उसे दौर के लोग कितने एडवांस थे।

सिन्धु घाटी सभ्यता के विशेषताएँ

sindhu ghati sabhyata के प्रमुख शहर मोहनजोदड़ो था, जो विश्व का सबसे प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है। इसमें बड़े-बड़े मंदिर, घर, और सार्वजनिक स्थानों के अवशेष पाए गए हैं। इस शहर की पानी निकास की नालियां भी दो फीट से 5 फुट चौड़ी पाई गई है।  5 फुट से लेकर 30 फीट तक सड़कों के भी अवशेष मिले हैं जो यह बताता है कि इस शहर में कितनी आवा–जाहि थी। sindhu ghati sabhyata मैं दो से तीन मंजिला मकान के भी अवशेष मिले हैं।

व्यापार और वाणिज्य की महत्वपूर्णता

सिन्धु घाटी सभ्यता में व्यापार और वाणिज्य का बहुत महत्व था। मोहनजोदड़ो के अवशेषों में सोने, चांदी, और हीरे जैसे अन्य अमूल्य रत्नों के खोज मिले हैं, जो यह बताते हैं कि मोहनजोदड़ो शहर कितना भाव और खूबसूरत होगा सोने चांदी के तो यहां भंडार हुआ करते थे। मोहनजोदड़ो में जितने भी अवशेष मिले हैं उनसे यह बात तो सिद्ध हो जाती है कि sindhu ghati sabhyata एक विशाल सभ्यता थी। शायद अपने समय की सबसे अमीर शहर और सभ्यता थी। इतिहास का इसको इस वजह से मानते हैं क्योंकि ऐसी सभ्यता अभी तक कोई भी दूसरी दुनिया में खोजी नहीं गई है।

sindhu sabhyata कला, संगीत

sindhu sabhyata कला, संगीत, और विविधता
मोहनजोदड़ो शहर में बहुत सारे ऐसे अवशेष मिले हैं जिससे यह लगता है यह शहर एक संगीत रूपी शहर था यानी संगीत का खास लगाव था मोहनजोदड़ो से।
sindhu sabhyata में कला, संगीत, और विविधता का विकास हुआ। मोहनजोदड़ो के अवशेषों में विभिन्न चीजों का आकार और नक्शा पाया जाता है जो इस सभ्यता की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है। sindhu ghati sabhyata अपने आप में वैसे ही बेमिसाल थी लेकिन संगीत के मामले में भी वह बेमिसाल ही है। संगीत से जुड़े कुछ अवशेष मोहनजोदड़ो में ही नहीं हड़प्पा में भी मिले हैं

विलुप्ति और उपेक्षा

सिन्धु घाटी सभ्यता का अचानक विलुप्त हो जाना और उसकी उपेक्षा कर दी जाना एक रहस्य है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे जलवायु परिवर्तन, युद्ध, या अन्य सामाजिक तंत्र।

यह सवाल तो आना लाजिमी ही है कि इतनी विशाल सभ्यता अचानक विलुप्त कैसे हो गई इतिहासकारों ने इसके कुछ अपने-अपने तर्क दिए हैं कि जो sindhu ghati sabhyata के विलुप्त होने के कारण बताए जाते हैं। ज्यादातर इतिहासकारो का मत है कि अचानक से प्रकृति में जलवायु परिवर्तन हुआ होगा या फिर कोई ऐसी घटना हुई होगी जिससे यहां के लोगों को यह जगह छोड़नी पड़ी वह जैसी थी ऐसी ही छोड़नी पड़ी उनको अपना सामान लेने तक का भी मौका ना मिला हो।

कुछ इतिहासकार मानते हैं की सिंधु घाटी सभ्यता के वक्त कोई और ऐसी विशाल सभ्यता होगी।  इन दोनों सभ्यताओं में युद्ध हुआ होगा। और यह जाहिर भी है कि जहां दो सभ्यताएं इतनी बड़ी हो उनका टकराव होना जाहिर सी बात है। उसे युद्ध में शायद sindhu sabhyata को हार हुई हो जिससे यहां कुछ भी ना बचा और sindhu ghati sabhyata दुनिया से विलुप्त हो गई। हालांकि यह बात ज्यादा सही नहीं लगती क्योंकि मोहनजोदड़ो शहर में जो घर, नल, नदिया, या जितने भी अवशेष मिले हैं वह बिल्कुल सेफ हैं। अगर कोई सभ्यता होती तो वह इस नगर को जरूर लूटती और यहां तोड़फोड़  करती जो यहां बिल्कुल भी नहीं हुई।

sindhu sabhyata और मुस्लिम धार्मिक इतिहास

sindhu ghati sabhyata के लुप्त होते हुए इतिहास को अब हम खोजते हैं धार्मिक किताबों से इसके बारे में ज्यादा कुछ तो कहीं भी नहीं लिखा मिला है। हां एक इतिहास मिलता है और वह है (नूह अलैहिस्सलाम) का।

नूह अलैहिस्सलाम का परिचय

ईसाई धर्म, और मुस्लिम धर्म, के अनुसार नूह अलैहिस्सलाम एक अल्लाह के नबी थे और वह पूरी दुनिया के नबी थे। नबी का मतलब होता है अल्लाह का वह बंदा जिस पर अल्लाह की (वही) आती है और वही एक फरिश्ते के जरिए भेजी जाती है जिसका नाम है (जिब्राइल) अल्लाह की जो वही नबी पर आती है इसका मतलब होता है कि इंसान को किसकी ‘पूजा’ इबादत करनी चाहिए. कौन सा काम सही है, कौन सा गलत है, कौन सा करना है कौन सा नहीं करना है, किस तरीके से जीना है और किस तरीके से रहना है, यह होता है वही का मतलब। वही आती है सिर्फ नबी पर और नबी अल्लाह किसी एक को ही चूनता है सबको नबी नहीं चूनता। नबी नेक और मासूम होता है।  जिसको दुनिया से कोई मतलब नहीं हो वह सिर्फ ईश्वर की आराधना में ही मगन रहता है यह होता है नबी।

sindhu ghati sabhyata नूह अलैहिस्सलाम

नूह अलैहिस्सलाम के दौर में 10 राजा थे जो बड़े-बड़े राजा थे कहा जाता है कि ऐसे 10 राजा ना पहले थे ना बाद में कभी ऐक साथ होंगे। हो सकता है sindhu ghati sabhyata इस समय हो क्योंकि नूह अली सलाम का इतिहास भी ईशा से 3000 से 5000 साल इस पर्व माना जाता है। लेकिन इसे अभी यह तो सिद्ध नहीं होता कि sindhu sabhyata के विलुप्त होने का कारण क्या था अब वर्ल्ड वाइड हिस्ट्री यहां से आपको एक और कहानी बताती है जो कुरान के हिसाब से 100% सही है।

कुरान में लिखा है कि नूह अलैहिस्सलाम अल्लाह के नबी थे और वह पूरी दुनिया के नबी थे सिर्फ अपने वक्त में। आपकी जानकारी के लिए बता दूं पूरी दुनिया के सिर्फ दो ही नबी थे एक नूह अलैहिस्सलाम जो सिर्फ अपने वक्त तक था और दूसरा था मोहम्मद सल्लल्लाहो वाले वसल्लम जो कयामत तक है। कुरान में लिखा है कि नूर अली सलाम ने 950 साल तक दावत ए तब लिख दी और सिर्फ मुसलमान हुए थे 82 या 80 लोग। उसके दौर में 10 बड़े राजा थे जो पूरी दुनिया में अलग-अलग भी थे जिनमें से हम एक sindhu ghati sabhyata को मान कर चलते हैं। इतने दिन बाद जब उन्होंने देखा कि लोग उनकी बात को नहीं मान रहे हैं और गलत काम को नहीं छोड़ रहे हैं तो उन्होंने अपनी काम के लिए बद्दुआ की उन्होंने कहा कि अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगे तो तुम्हारे ऊपर अल्लाह का अजाब आएगा।

ईसको ईसाई  लोग ऐसे कहते हैं-कि: नोहा ने कहा कि तुम मेरी बात मान लो वरना तुम्हारे ऊपर पानी का अजाब आएगा और तुम उसमें डूबा दिए जाओगे. नोहा की ईस बात के लिए उसकी काम के लोग हंस करते थे यहां तक के उसका बेटा और बीवी भी क्योंकि वह भी नूहू पर ईमान नहीं लाए थे। फिर खुद के हुकुम से नूह अलैहिस्सलाम ने एक कश्ती बनाई जिसको दुनिया की पहली कश्ती भी माना जाता है और इस कश्ती को अब साइंस ने भी खोज निकाला है यह बात बिल्कुल सत्य है। उसे कश्ती में हर एक जीवित प्राणी चाहे जमीन पर रहने वाला हो या आसमान में उड़ने वाला हो और 80 या 82 वह लोग थे जो नूर अली सलाम पर ईमान लाए थे उन सबको उसमें बिठा लिया गया।

जब दुनिया में जल प्रलय आया जैसा की नो अली सलाम ने कहा था आसमान से बारिश हुई और जमीन से भी पानी निकल यहां तक की रोटी पकाने के लिए जो तंदूर होता था उसमें से भी पानी निकाला।  पानी इतना हो गया की जमीन में सबसे ऊंची-ऊंची पहाड़ों से भी ज्यादा ऊंचा हो गया। उसके बाद दुनिया में सारी जिंदा चीज मर गई, जो बड़े-बड़े नगर थे वह पानी में दब गए। यही वजह है के sindhu ghati sabhyata को लोग नूह अलैहिस्सलाम के दौर कि उन 10 सल्तनतनतो में से जोड़कर एक मानते हैं। sindhu sabhyata इससे कितनी मिलती-जुलती है या उसमें से थी या नहीं। ना तो इस बात की पुष्टि वर्ल्डवाइड हिस्ट्री करता है और ना ही कोई भी इतिहासकार करता है लेकिन इसको जोड़कर देखा जा सकता है।

मिलते-जुलते कारण

sindhu ghati sabhyata और नूह अलैहिस्सलाम के दौर की उसे जल प्रलय की जो सिमिलर और मिलती-जुलती बात है वह इस तरीके से हैं एक तो दोनों ही  ईसा अलैहिस्सलाम से 3000 ईसा पूर्व मानी जाती है। ज्यादातर इतिहासकार मानते हैं की sindhu sabhyata या तो पानी में दब गई थी या फिर हवा के जरिए इतना रेत आया था कि इसको ढक दिया, क्योंकि इसका ढांचा ज्यो का तयो ही है।  मोहनजोदड़ो शहर के अवशेषों को देखकर वैज्ञानिक इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि उसे दौर में भी लोग काफी एडवांस थे। फिर बेगाने को के पास सवाल यह आता है की इतनी विशाल सभ्यता अचानक नष्ट कैसे हो गई और फिर नष्ट भी हुई तो उसके अवशेषण अभी तक शेष क्यों है और बचे कैसे।

आधुनिक दुनिया में सिन्धु घाटी की प्रासंगिकता
सिन्धु घाटी सभ्यता का अध्ययन हमें हमारे आधुनिक दुनिया में इसकी प्रासंगिकता को समझने में मदद करता है। इसके विभिन्न पहलुओं की अध्ययन से हमें आधुनिक समाज में समाज, राजनीति, और संस्कृति की विकास की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष sindhu ghati sabhyata

sindhu ghati sabhyata विश्व के प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो हमें हमारे अपने इतिहास की महत्वपूर्ण दर्शनियों में से एक के रूप में समझने में मदद करती है। इसका अध्ययन हमें हमारे समाज और संस्कृति के विकास के प्रक्रिया को समझने में मदद करता है।

प्रश्नोत्तर

1. सिन्धु घाटी सभ्यता क्या है?
सिन्धु घाटी सभ्यता एक प्राचीन सभ्यता थी जो विश्व के एक प्राचीन सभ्यताओं में से एक है।

2. सिन्धु घाटी सभ्यता की महत्वपूर्णता क्या है?
सिन्धु घाटी सभ्यता का अध्ययन हमें हमारे अपने इतिहास की महत्वपूर्ण दर्शनियों में से एक के रूप में समझने में मदद करता है।

3. सिन्धु घाटी सभ्यता का क्या अर्थ है?
सिन्धु घाटी सभ्यता उस संस्कृति को दर्शाती है जो सिन्धु घाटी क्षेत्र में 3300 ईसा पूर्व से अधिक काल से विकसित हुई।

4. सिन्धु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
सिन्धु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ उसके शहरों का विकास, व्यापार की महत्वपूर्णता, धार्मिक प्रथाएँ, और सांस्कृतिक विविधता हैं।

5. सिन्धु घाटी सभ्यता क्यों विलुप्त हो गई?
सिन्धु घाटी सभ्यता का अचानक विलुप्त हो जाना और उसकी उपेक्षा कर दी जाना एक रहस्य है और इसमें कई कारण हो सकते हैं।

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